बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य घाटा भुगतान योजना

बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य घाटा भुगतान योजना के प्रभाव
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों की आय और फसलों की कीमत स्थिर बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने दो अहम योजनाएँ लागू की हैं – बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य घाटा भुगतान योजना ( बाजार हस्तक्षेप योजना (Market Intervention Scheme – MIS) और मूल्य घाटा भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme – PDPS)। इन दोनों का लक्ष्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना और नुकसान से बचाना है।
बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) क्या है?
यह योजना विशेष रूप से नाशवान कृषि उत्पादों जैसे फल, सब्ज़ी और फूलों के लिए चलाई जाती है। जब बाजार में अचानक दाम गिर जाते हैं और किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी नहीं मिल पाता, तब राज्य और केंद्र सरकार मिलकर किसानों की उपज खरीदती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को कीमत गिरने से होने वाले नुकसान से बचाना है।बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य घाटा भुगतान योजना ।
बाजार हस्तक्षेप योजना के प्रभाव
- किसानों को नाशवान वस्तुओं का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित होता है।
- बाजार में कीमतों के अस्थिर उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण मिलता है।
- किसानों को उपज बर्बाद करने की नौबत नहीं आती।
- सीमित दायरे और भंडारण की समस्या के कारण इसका प्रभाव अपेक्षाकृत कम होता है।
मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS) क्या है?
मूल्य घाटा भुगतान योजना का मुख्य सिद्धांत है – किसान को MSP और बाजार मूल्य के बीच का अंतर सीधे नकद भुगतान के रूप में दिया जाए। इसमें सरकार किसानों की उपज खरीदती नहीं है बल्कि उनके खाते में घाटे की भरपाई करती है। यह योजना मुख्य रूप से तिलहन और दालों पर लागू होती रही है। बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य घाटा भुगतान योजना का मुख्य सिद्धांत है।
मूल्य घाटा भुगतान योजना के प्रभाव
- किसानों को सीधे उनके खाते में घाटे की राशि मिलती है।
- सरकार को बड़े पैमाने पर खरीद और भंडारण नहीं करना पड़ता।
- भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका कम होती है।
- कार्यान्वयन में देरी और सीमित फसलों तक सीमित रहने के कारण इसका प्रभाव कम रहा।
दोनों योजनाओं का संयुक्त प्रभाव
दोनों योजनाएँ (बाजार हस्तक्षेप योजना और मूल्य घाटा भुगतान योजना) मिलकर किसानों को आय सुरक्षा और न्यूनतम समर्थन मूल्य का भरोसा देती हैं। इनसे किसानों की बाजार पर निर्भरता घटती है और सरकार को भी फसलों के भंडारण और प्रबंधन में सहूलियत मिलती है। हालांकि, इनका लाभ अभी भी सभी किसानों तक नहीं पहुँच पाया है। यदि इन योजनाओं का कवरेज और पारदर्शिता बढ़े तो यह किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य में अहम योगदान दे सकती हैं।
निष्कर्ष
बाजार हस्तक्षेप योजना किसानों को उनकी नाशवान उपज का सही मूल्य दिलाने में मदद करती है, वहीं मूल्य घाटा भुगतान योजना किसानों की आय सुरक्षा सुनिश्चित करती है। दोनों योजनाएँ मिलकर भारतीय किसानों को बाजार की अनिश्चितताओं से बचाने में सहायक साबित हो रही हैं। आने वाले समय में यदि इनका विस्तार अधिक फसलों और अधिक राज्यों तक किया जाए, तो यह भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए बेहद क्रांतिकारी कदम होगा।
FAQs
बाजार हस्तक्षेप योजना किसके लिए लागू होती है?
यह योजना मुख्य रूप से नाशवान कृषि उत्पादों जैसे फल और सब्ज़ियों के लिए लागू होती है।
मूल्य घाटा भुगतान योजना का लाभ कैसे मिलता है?
यदि बाजार मूल्य MSP से कम हो, तो अंतर की राशि सीधे किसान के खाते में जमा की जाती है।
क्या दोनों योजनाएँ सभी फसलों पर लागू होती हैं?
नहीं, बाजार हस्तक्षेप योजना केवल नाशवान वस्तुओं तक सीमित है और मूल्य घाटा भुगतान योजना मुख्य रूप से दालों व तिलहनों पर लागू होती रही है।